Book Title: Nabhak Raj Charitram Bhashantar
Author(s): Merutungasuri
Publisher: Dosabhai Lalchand Shah

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Page 38
________________ ना. देवद्रव्योपभोगेन, कुटुम्बस्य क्षयो भवेत् / नैमित्तिकादिति श्रुत्वा, भीतः कर्म तदत्यजम् // 87 // . भावार्थ-हवे कोइक समये निमित्तियाना मुखथी सांभळ्यु के- 'देवद्रव्यनो उपभोग करवाथी कुटुंबनो नाश याय छे' आ प्रमाणे सांभळी हूं डर पाम्यो, अने तेथी में ते कार्य-देवद्रव्यनो उपभोग करवो छोडी दीधो. // 8 // चतुर्विशतिदीनार-सहस्री यान्तिकेऽभवत् / // 34 // देवसत्काऽवशिष्टा सा, क्षितो क्षिसाऽथ पत्रयुक् // 88 // ... भावार्थ-मारी पासे देवद्रव्य तरीकेनी चोवीश हमार सोनमहोरो जे बाकी रही हती, ते लेखित पत्र सहित पृथ्वीमा दाटी. // 88 // कृत्यैर्यथोचितर्जीवन् , प्रान्तेऽहं कष्टतो निशि / स्थविर्या प्रातिवेश्मिक्या, पठंयमानं मृदुस्वरम् // 89 // श्रीशत्रुञ्जयमाहात्म्यं, शृण्वन्नेकाग्रमानसः। मृत्वा तड्यानतोऽभूवं, व्यन्तरोऽत्रैव पर्वते // 90 // युग्मम् / TAP.AC. भावार्थ----त्यार पछी यथायोग्य कार्यो वडे धन मेळवी आजीविका चलावतो हु मरण समये दुःखपूर्वक रात्रिमा Jun Gun Aaradhak Trust

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