Book Title: Murtipooja ka Prachin Itihas
Author(s): Gyansundarvijay
Publisher: Ratna Prabhakar Gyan Pushpmala

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Page 12
________________ ( ८ ) ' तो भी इतना माना जा सकता है कि इन देशों पर कितनेक जैनमन्दिर उसने सम्प्रति का राज्य रहा हो और अपने समय में बनवाये हों । रा० ब० म० म० पं० गौरीशंकरजी, श्रोमा राजपूताना का इतिहास भाग १ पृष्ठ ९४ X X X यूरोप का महान् क्रान्तिकार डॉ० सोक्रेटिज (शुक्ररात) ने कहा है कि मूर्तीपूजा छुड़ाने से लोगों की अज्ञानता घटेगी नहीं पर उल्टी बढ़ती जायगी या तो मिश्रवासियों की भांति मूर्तिपूजा छोड़ मगर व बीलाड़ा की पूजा करेगा या नास्तिक होकर कुछ भी नहीं करेगा । X X X ऐतिहासिक -- मर्मज्ञ प्रकाण्ड विद्वान् श्रीमान् राखलदास बनर्जी ने अपना यह निश्चय प्रगट किया है कि आज से २५०० वर्षों पूर्व जैनधर्म में मूर्तिपूजा होती थी ( जैन सत्य प्रकाश) पृष्ठ १४९ X X X श्रीमान् केशवलाल हर्षदराय व भारतीय पुरातत्वज्ञों में एक हैं आपने व्यक्त किया है कि कलिंग के शिलालेख से स्पष्ट हो जाता है कि आज से २३०० - २५०० वर्ष पूर्व जैनों में मूर्त्तिपूजा आम तौर से प्रचलीत थी ( X X X Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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