Book Title: Murti Mandan Prakash Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ - - - - - marARPAAAAAAAAMRP-RDPRE mmernamamana -somnanamamamava- mammar MASAnna-e-Aamasomemaananaamana - e - - लगी है सरसे ऊपर यह अदव करनेकी सूरत है ।। १३ ॥ अमानत ऐसा फरमाते हैं अपना दिल जमाने को। खुदाकी यादका वहतर तरीका बुतकी मूरत है ॥ १४ ॥ चांदमारी में भी दीवार पर नुक्का लगाते हैं। निशाने की निगाह ठैरानेकी यह एक सूरत है ॥ १५ ॥ देखलो जाके गिरजामें रखी है स्लीव की मूरत ॥ यह सब ताजीम के रस्ते अदव करनेकी सूरत है ॥ १६ ॥ सभी ताजीम करते हैं हुसैन हजरतके लाशेको ।। ताजिया जिसको कहते हैं जनाजे की वह मूरत है।॥ १७ ॥ शाह फर्जी फील घोड़ा यह गो लकड़ी के टुकड़े हैं। मगर शतरंज को बाजी लगाने की तो सूरत है ॥ १८॥ सलामी फौज देती है झुका सर बोसा देते हैं। जहांपर तख्त शाही या ताज शाही की मूरत है ।। १९ ॥ सभी मंदिर शिवालय मसजिद ने बुजुर्गों की ! हैं क्यों ताजीम के काबिल वह इक मिट्टी की मूरत है ||२० लीडरोंके शहनशाहोंके राजोंके गवरनरके ।। हजारों बुत बने हैं दर असल मिट्टी की मूरत है ॥ २१॥ अदव करते हैं सव इनका कोई तोहीन कर देखे ॥ सजा पाए अदालतसे गो बुत मिट्टी की मूरत है ।। २२ ।। हजारों और भी मूरत नजर आती हैं दुनिया में ॥ सभी अच्छी बुरी मूरत हैं जैसी जिसकी सूरत है ।। २३ ॥ १ जनाजा-२ वे अदबी - - - - - - - - reme w - me una ARDORIANDRA a d -Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43