Book Title: Murti Mandan Prakash
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 37
________________ - n a (३५) जो है ख्वाहिश रहे जिन्दा जनमत इस जमाने में | तो चकवावैन चंदरगुप्त से रणबीर पैदाकर ॥ ३ ॥ हटाना है तुझे गर जुल्मको हिंसाको दुनियासे ।। तो तू गोतम से कुन्दाचार्यसे महावीर पैदाकर ॥ ४ ॥ अगर है धर्मका कुछ जोश दिलम जैनमत वालो ।। तो न्यामत जैन कालिज की कोई तदवीर पैदाकर ॥ ५ ॥ ३२ चाल-कहां लेजाऊ दिल दाना जा में इनकी मुशकिल है ॥ करमकी रेखम भी मेख बुधिजन मार सकते हैं । करम क्या है इन्हें पुरुपार्थसे संघार सकते हैं ॥ १ ॥ करम संचित बुरे गर हैं तो भाई इनका क्या डर है ।। बुरे एमालनामे को भी हम सूधार सकते हैं ।। २ ।। करमसे तो बड़ा वलवान है पुरुषार्थ दुनिया में । उदय भी गर करमका हो उसे भी टार सकते हैं ॥ ३ ॥ ज्ञान समयक्तसे चारित्रसे तप और संजमसे ॥ पाप दरियामें डवको भी हम उद्धार सकते हैं ॥ ४ ॥ करमका डर जमा रक्खा है हाऊकी तरह यूंही ॥ इन्हें तो ध्यानके इक तीरसे भी मार सकते हैं ॥५॥ | करें उद्यम तो सारी मुशकिलें आसान होजावें ॥ हां गर हिम्मत हारदें तो विलाशक हार सकते हैं ॥ ६ ॥ काल लब्धि होनहार आलशी पुरुषों की बातें हैं। natandanadandram 3 -

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