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(माता व पुत्र के सवाल व जवाब ) चाल --कहां लेजाऊ दिल दोनो जहां में इसकी मुशकिल है ॥ सुनी जिस वक्त अभिमन्यु ने रण मेरी तो इक दम से ॥ ज़िरह बक्कर पहन के होगया तय्यार जाने को ॥ १ ॥ कहा माता ने अभिमन्यु जरा तू ठैरे तो बेटा || हुवा है यह तो बतलादे कहाँ तय्यार जाने को ॥ २ || गरण में पिता जब क्यों न की तुने खबर मुझको ॥ तो उस वक्त भी माता जी था तय्यार जाने को ॥ ३ गए हैं सबके सब रणमें रहा है घरमें इक तूही ॥ भला तू भी हुवा है किस लिए तय्यार जाने को ॥ ४ ॥ लगाती किसलिये धब्बा तू मेरी बीरताई में || फिर क्या है मेरी माता हर इक आता है जानेको ॥ ५ ॥ न तेरी उम्र लड़ने की नं रण देखा कभी तूने ।। अरे नादान कैसे होगया तय्यार जानेको ॥ ६ ॥ बतातो कौन सिखलाता है लड़ाना शेर बच्चोंको ॥ क्षत्री हर घड़ी रहते हैं यूं तय्यार जानेको ॥ ७ ॥ न्यायमत सीस अभिमन्यु झुका माता के वर्णों में ॥ उसी दम चलदिया घरसे वह था तय्यार जानेको ॥ ८ ३५
भगवान महावीर स्वामी को वस्तुनि ॥
चाल - आपको चाहने वालों को भी पहिचान नहीं ॥
जय महाबीर है हिन्सा को हटाया तूने ॥. दयामय धर्म की अजमत को दिखाया तूने ॥ १ ॥