Book Title: Murti Mandan Prakash
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 26
________________ ( २४ ) उग्रसेन राजाके कुलमें हम सबका विस्तारा है | दिल्ली प्रान्त में अग्रवालोंका वल अधिकारा है ।। ५ ॥ कृश्नलाल मह पिता व मंगलसैन सुपिता हमारा है || विद्यमान है पिता मेरू तुल्य हमें सहारा है ॥ ६ ॥ माता मोहनि देवी जाको नित्य प्रणाम हमारा है | चार बहन और शिखरचन्द जी भ्राता अनुजं पियारा है ||७|| वर्तमान में वास हमारा शहर हिसार मंझारा है || हांसी नगर में जनम भूमि घर वार हमारा है ॥ ८ ॥ पिता भाई सब मिलकर रहते सवविध आनंदकारा है || जिला बोर्ड अनुशासन में हम पद मंत्रिका धारा है ॥ ९ ॥ रघुबीर सिंह अरु सरूप सिंह छोटा राजकुमारा है | हैं यह तीनों पुत्र हमारे जैन धरम चित धारा है ॥ १० ॥ जयदेवी है नारी हमरी शील वृत चितधारा है । पुत्री तीन कला - केवली छोटी नाम सितारा है ॥ ११ ॥ धनकुमार जयदेव - पवन और चौथा विजय कुमारा है | पौत्र हमारे समझलो यह हमरा परिवारा है ॥ १२ ॥ शिखरचन्द के चार पुत्र त्रिय कन्या जन्म आधारा है || कमलश्री गिरनारी लीलावती नाम उच्चारा है ॥ १३ ॥ सुरेंद्रकुमार पर्काशचन्द कैलाशचन्द सुत प्यारा है | चौथा सुत सुलतान सिंह-लघु भाई का परिवारा है ॥ १४ ॥ न्यामत जैन धरम सुखकारी जो कुल धर्म हमारा है ॥ यह छोटा सा समझ लीजे कुल बंश हमारा है ॥ १५ ॥

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