Book Title: Murti Mandan Prakash
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 34
________________ - - (३२ ) जैन धर्म का प्रचार बखूबी कर सकते थे इस लिए धर्म की प्रभावना बढाने के लिए छोटा भाई बड़े भाई को बचाने और खुद मरने के लिए तय्यार होगया और अपने भाई से इस तरह ' कहने लगा। D - % 33 - चाल-कहां लेजाऊं दिल दोनों जहां में इसको मुशकिल है। जब आई चीनकी सैना कत्ल करनेको दोनोंको ॥ कहा दुकलंकने भाईसे तब यूं इल्तिजा करके । १॥ न कीजे भाई अब कुछ ग़म जरा भी मेरे मरनेका ॥ चले जावें यहांसे आप अपनी जां बचा करके ॥ २॥. अमर है आतमा दुकलंकको मरनेका डर क्या है । धरमकी रोशनी फैलादे तू भारत में जाकरके ॥ ३॥ मुझे मरने में राहत है मैं सच्चे दिलसे कहता हूं। श्री अकलंक भाईके चरण में सर झुका करके ॥ ४॥ बड़ा मिथ्यातका हिंसाका है परचार भारतमें ॥ हटादे भाई तू जिन धर्मकी अजमत दिखा करके ॥ ५॥ महोब्बत छोड़दे मेरी कि दुनिया चन्द रोजा है। धरमका काम कर जाकर मुसीबत भी उठा करके ।। ६॥ तमन्ना ज़िन्दगी की है नहीं स्वर्गों में जानकी॥ है ख्वाहिश हिन्दको धर्मी बनादे तू जगा करके ॥७॥ न्यायमत सबके दिलसे दूर होवे भाव हिंसाका ॥ दयामय धर्मका परकाश हो हिंसा हटा करके ॥ ८॥ - - - - - - - -

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