Book Title: Murti Mandan Prakash
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 28
________________ mym - ammmmmmmmmmmm मन P (२६) हिसार सेती बना संघ चले सँग लेकर परिवार ॥१॥ उन्निससौ चुहत्तर विक्रम माघ महीना शुभदिन वार ।। करी बंदना हरप धर मुखसे नोले जय जयकार ॥२॥ लाला मंगलसैन अरु लाला फकीरचंद अरु गुलशनराय ॥ शेरसिंह जी जैनीलाल मिले सब हर्प वढाय ।।३।। लाला शिवदियालसिंह जी अस्कूलों के डी आई। हम सब मिलकर करी यात्रा परवतकी मन लाई ॥४॥ . इस अवसर पर हुकमचन्द लखमिचन्द और बिहारीलाल ॥ मिले-सभोंने करी भगवनकी पूजा हो खुशहाल ॥५॥ धरम ध्यानमें लीन देखकर आपसमें अति प्रेम हुवा ।। इन तीनोंको हिसारमें लानेका इकरार किया ॥६॥ तीनों भाई शुभ महूर्तमें आए चलकर नगर हिसार ।। धन सम्पति दे यहीं पर थाप दिया उनका व्यापार ।। ७ ॥ मित्र विहारीलाल चतुर थे और जिनशासन के अनुसार ॥ | निश दिन हमरे संगमें करते थे नित तत्व विचार ॥ ८ ॥ ।। सज्जन और धर्मी जनका मिलना जगमें सुखकारी है । धर्म ध्यान तत्वोंकी चर्चा न्यामत आनन्दकारी है ।। ९ ॥ २२ पत्रकी समाप्ति। दोहा॥ apadandolendulkamsootmubmummone e - een-mas नाम विहारीलालके पन्नालाल परवार !! A- M

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