Book Title: Murti Mandan Prakash Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 4
________________ - - (२) समझके आपमें खुदको निराली शान पैदा कर ॥ ५॥ तू खाकी है न आबी है आशी है न वादी है ॥ तूं रूहे पाक है बेशक तूं इत्मीनान पैदा कर ॥ ६ ॥ न्यायमत रगवतो नफरत मिटाद एक दम दिलसे ।। हटा अज्ञान का परदा जरा विज्ञान पैदी कर ।। ७। % - नोट-मई सन् १९९६ में लाली फतेहंचन्द जैन रईस हिसार ने हिसार में पूजा (वेदो प्रतिष्टा) करवाई थी--उस अवसर पर पडितमाणिकचन्द जी (न्याया चार्य मोरेना) पडित मक्खन लाल जीशास्त्री (वादीम केसरी न्याया लकार ) ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद जी बावा भागीरत दास जी त्यागी--पडित गोरीलाल जी शाली दहली-पधारे थेइस मौके पर समस्त प्राय्ये समाज-पहले इस्लाम सनातन धर्मी व ईसाई साहेवान को एक महीने पहले नोटिस दिया गया था कि तीन दिन तक मूर्ति पूजन व आवागवन व कर्ता खडन पर न्याय पूर्वक वाद विवाद किया जावेगा-सोही सव समाजों के परिडत व मोलवो व पादरी साहेवान आए थे और नियमानुसार वाद विवाद हुवा था और जैनमत की तरफ से सबके सन्तोषजनक उत्तर दिये गए थे-इस अवसर पर हर एक विषय का क़सीदा भी बनाकर सभा में सुनाया गया थायह कसीदा मूर्ति मडन के वाद विवाद के दिन सुनाया गया थासभा का इन्तज़ाम राय साहेव लाला फूलचन्द जी जैन एकज़ोफ्टव इंजीनियर नहर की निगरानी में हुवा था- . चाल-कहां लेजाऊं दिल दोनो जहां में इसकी मुशकिल है। जहांके काम बतलाने का सामां एक मूरत है। गरज मतलब बरारी की नहीं कोई और सूरत है।॥१॥ शकल सूरत शबीम्ह तसबीर फोटो अक्स कुछ कहलो॥ यह सारे नाम हैं उसके कि जिसका नाम मूरत है ॥ २॥ - - - - -Page Navigation
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