Book Title: Murti Mandan Prakash Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 5
________________ ( ३ ) किताबों में यही मूरत अगर हरकों की सूरत है || तो उक्लेदसमें यह लाइन की और नुक्तं की कहीं एबी-कहीं अ आ कहीं पर अल्फ वे सारे ॥ यह समझाने के जरिये हैं यह बतलाने की सूरत है ॥ ४ ॥ जरा चलकर मंदसे में हिन्द का देखलो नक़शा ॥ मूरत है ॥ ३ ॥ 1 . कहीं शहरों का नुक्ता है कहीं दरियाकी मूरत है ॥ ५ ॥ नज़र जिसदम पड़े साधू सती गणिकाके फोटो पर || असर दिलपर वही होता है जैसी जिसकी मूरत है ॥ ६ ॥ जैन साइन्स में अस्थापना निक्षेप कहते हैं । इसी बुनियाद पर जिन मंदिरों में जिनकी मूरत है ॥ ७ ॥ देख लीजे गौर करके यह सूरत शान्त मूरत है ॥ यह इक बैरागता सम्बेगता शान्तिकी सूरत है ॥ ८ ॥ रहनुमा जग हितेषीकी हमें ताज़ीम लाज़िम है | अदब ताज़ीम करने की यही तो एक सूरत है ॥ ९ ॥ खिंचे नहीं दायरा हरगिज़ बिना नुक्ते की मूरतके ॥ ध्यान के दायरे के वास्ते भगवत की मूरत है ॥ १० ॥ शहनशाह जार्ज पंजम हिन्द में तशरीफ़ जब लाए । झुका दिया सर जहां मल्का महाराणी की मूरत है ॥ ११ ॥ अदब से जाके बोसा देते हैं मके मदीने में || वहां असवद की सूरत है यहां भगवत की मूरत है ॥ १२ ॥ आर्य मंदिरों में भी शंबीह दयानंद स्वामी की ॥ - १ ईश्वर - २ फोटा तसवीर rgPage Navigation
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