Book Title: Murti Mandan Prakash Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 9
________________ - - - - (७.) खयाले नेको बद होनेका बाइस एक मूरत है ॥ १॥ कहीं है यार की मूरत कहीं दुशमन की मूरत है। कहीं दूल्हा की मूरत है कहीं दुलहन की मूरत है ॥२॥ कहीं ज़ालिमकी मूरत है कहीं आदिलकी मूरत है ॥ कहीं शाहो गदा आलिम कहीं जाहिल की मूरत है ॥ ३॥ शहीदों की हजारों मूरतें दुनियामें कायम हैं। सती परहेज़ गारोंकी कहीं आविद की मूरत है ॥ ४ ॥ जुदागाना असर दिलपर हर इक मूरत का होता है ॥ भला फिर किसतरह कहतेहो यह नाकाम मूरत है ॥ ५॥ तार बी में डोट और बार दो आवाज कायम हैं॥ हैं सब बेजान पर मतलब रसानी की तो सरत है॥६॥ घड़ी की सूइयां टुकड़े हैं लोहेके बजाहिर गो।। मगर थाइमके बतलानेकी यह भी एक सूरत है ॥ ७॥ हरी झंडी लाल झंडी सिरफ कपड़ेकी धज्जी हैं । . मगर गाड़ी,रोकनेकी चलानेकी तो सूरत है ॥८॥ . ज़रा झंडीकी गलतीसे हज़ारों खेत रहते हैं। ट्रेनोंके बचाने और लड़ानेकी वह सूरत है ॥ ९ ॥ रंगी चिट्ठी फटा कारड वह गो कागज़के टुकड़े हैं। हंसाने और रुलानेकी तो काफी एक सूरत है ॥ १०॥ नोट और दर्शनी हुंडी किसीके हाथका पर्चा ॥ कहो नकदी दिलानेकी यह क्या आसान सूरत है॥ ११ ॥ यह गो बुनियादका पत्थर सिरफ पत्थर का टुकड़ा है ।। - . -Page Navigation
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