Book Title: Murti Mandan Prakash
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ - : - - - - लाला विहारीलाल गुना ज्ञावनी वाले की मार्फत हमारे पास थाया था उसमें चार प्रदन किये थे: %3 - - modidudumomem (१)-प्रतिमा स्थापन क्यों प्रावश्यकीय है और इससे क्या लाभ है। आर्य समाज कहती है कि निराकार ईश्वर की मूर्ति होही नहीं सकती-इसका क्या उत्तर है । (२)-प्रतिमा पूजन केले होनी चाहिये ॥ (३)-हमारा स्थान और हमारा परिवार मादि किस किप्त प्रकार है। सो पूर्ण रूप से बताया जावे। (४)-अगर शक्ती हो तो उत्तर करिता रूप पदों में दिया जावे। इन चारों प्रश्नों का जो उत्तर २४ मई सन् १९२० को १३ पदों में दिये गये। थे-वहही उत्तर सर्व जन हितार्थ नीचे लिखे जाते हैं। प्रणमूं श्री जिनेन्द्रको बीतराग सुखकंद ।। हितकारी सर्वज्ञ नित सत चित पर्मानन्द ॥ १॥ पन्नालालजी बोहरे सहित अनेक समाज॥ • बजरंगगढ़में बसतहो मध्य गवालियर राज ॥ २॥ जय जिनेन्द्र तुमको लिखे न्यामत अग्गरवार ।। नगर हमारा जानियो हांसी और हिसार ॥ ३ ॥ पत्र आपका आइयो हस्त बिहारीलाल ॥ प्रश्न आपके बांच कर जान लियो सब हाल ॥ ४ ॥ धन्य आपकी चतुर्ता धन्य प्रेम सुविचार ।। प्रश्नाका उत्तर लिखू निज बुद्धा अनुसार ॥ ५॥ पहले माया नीवके दकिं कुछ भेद ।। इन दोके जाने बिना मिटे नहीं भ्रम खेद ॥६॥ - - a - -

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43