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१ स्तुति-चौबीसी +
रचयिता-पू. मुनिराज श्री सुशील विजयजी महाराज (वर्तमान-पू. प्रा. श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा.)
ॐ प्रभुनी सम्मुख बोलवानी स्तुतिनो है
(मन्दाक्रान्त -छन्दमा) (बोधागाधं सुपदपदवी नीरपूराभिरामं-ए रागमा)
* श्री ऋषभदेव भगवाननी स्तुति के पृथ्वीमांहे प्रथम प्रभु जे आद्य भूपेन्द्र भारी , भिक्षाचारी प्रथम जगमा छ वली तीर्थकारी । माता हस्ते शिवपुरतणा द्वार खोलावनारा , वन्दो ते श्री ऋषभजिन ने सर्वदानन्दकारा ॥१॥
. मूत्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-१७३