Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 315
________________ आदि चतुर्विध संघ समेत बैन्ड युक्त पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मांगलिक श्रवण के बाद संघपूजा हुई । प्रतिदिन चारों जिनमन्दिरों में भव्य प्राँगो-रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा । व्याख्यान में विशेष प्रभावना का कार्यक्रम भो चालू रहा । २-श्रावण (भादरवा) वद १३ मंगलवार दिनांक २६-८-८६ के दिन श्राविका बहिनों के रायणवाला उपाश्रय में पूज्य साध्वी श्री सिद्धिरक्षिता श्रीजी कृत. ३१ उपवास की तपश्चर्या के उपलक्ष में पूज्यपाद आचार्य म. सा. आदि चतुर्विध संघ के साथ बैन्ड सहित पधारे । वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के पश्चात् संघपूजा हुई। ३-श्रावण (भादरवा) वद १४ बुधवार दिनांक ३०-८-८६ के दिन पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. आदि चतुर्विध संघ समेत बैन्ड युक्त अपने घर पर आदेशपूर्वक पूज्य 'श्री कल्पसूत्र' ले जाने वाले श्रीमान् केसरीचन्दजी कस्तूरचन्दजी अम्बावत के घर पर पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन एवं मांगलिक होने के पश्चात् संघपूजा हुई । रात को भावना का भी कार्यक्रम रहा । मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-२६२

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