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तप की आराधना भी जैन शासन की शोभा में अभिवृद्धि करती है। ___ आसो सुद ६ शुक्रवार दिनांक ६-१०-८६ के दिन से शाश्वती अोली का प्रारम्भ हुआ।
नौ दिन प्रायम्बिल कराने का लाभ एक सद्गृहस्थ ने लिया।
विजयादशमी के दिन से देसूरी में श्री उपधान तप की आराधना कराने वाले देसूरीनिवासी स्वर्गीय श्रीमान् पन्नालालजी पूनमचन्दजी अम्बावत परिवार की ओर से ५१ दिन के श्री जिनेन्द्रभक्ति महोत्सव का भी आज के दिन से ही प्रारम्भ हुआ।
प्रतिदिन प्रवचन-पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा ।।
'' पासो सुद १० (विजयादशमी) मंगलवार दिनांक १०-१०-८६ के दिन से श्रीमान् मोतीलालमानमल-छगनलाल-फूलचन्द-कुन्दनमलजी अम्बावत की
ओर से महामंगल श्री उपधान तप की आराधना का प्रारम्भ हुआ। उसमें ७५ भाई-बहिनों ने श्री उपधान
- मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३०६