Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 339
________________ म. के प्रवचन का लाभ श्रीसंघ को मिला। व्याख्यान के बाद एक सद्गृहस्थ के घर पर पूज्यपाद आचार्य म. सा. तथा पूज्य पंन्यासजी म. आदि चतुर्विध संघ युक्त वाजते-गाजते पधारे। वहाँ भी संघपूजा हुई। उसी दिन 'श्री ऋषि मण्डल पूजन' श्रीमान् मीठालालजी भीमराजजी सांकरिया परिवार की ओर से विधिपूर्वक पढ़ाया गया। 22 कात्तिक (मागसर) वद ६ मंगलवार दिनांक २१-११-८६ के दिन प्रातः मेवाड़-दीपक पूज्य पंन्यासप्रवर श्री रत्नाकर विजयजी म. सा. एवं पूज्य मुनिराज श्री राजशेखर विजयजी म. आदि के पधारने से श्रीसंघ के आनन्द में अभिवृद्धि हुई। कुम्भस्थापनादि तथा नवग्रहादि पाटला पूजन हुआ। दोपहर में पूजा पढ़ाने के पश्चाद् श्री उपधान तप की माला का एवं जल यात्रा का रथ, इन्द्रध्वज, हाथी, घोड़े तथा बैन्ड आदि युक्त भव्य वर घोड़ा निकाला गया। उसी दिन मुमुक्षुबालिका संगीता बहिन का देसूरी संघ की ओर से बहुमान समारोह हुआ। रात को माला की बोलियों का कार्यक्रम भी अच्छा रहा । मूत्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता-३१६

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