Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 347
________________ AadhedaMANASANASANAMANANAS DAMAN जिनागम और जिनमूर्ति पू अनादि और अनंतकालीन समस्त विश्व अक्षरमय और आकार-आकृतिमय है। अपना परम पवित्र जैनागम शास्त्र अक्षरमय है, तथा वीतरागदेव श्री जिनेश्वर भगवान की मूर्तियाँ-प्रतिमाएँ आकार-प्राकृतिमय हैं। दोनों की अनन्यभावे अनुपम आराधना एवं उपासना अहनिश अवश्य ही करनी चाहिए। दोनों में से एक की भी उपेक्षा करने से अपनी आत्मा कर्म से भारी होती है। अपन स्वयं उपेक्षित होकर सन्मार्ग से भ्रष्ट हो जाते हैं। ऐसी आत्मा * को कभी भी न मोक्ष मिलता है और न शाश्वत सुख । की प्राप्ति होती है। -सुशीलसूरि lamlandalamlandalliamlasthanlaadladdalaalaamaal MAMInth मूर्ति की सिद्धि एवं मूत्तिपूजा की प्राचीनता-३२४

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