Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

Previous | Next

Page 314
________________ २६-८-८६ - ८-८ माजी लुणावा वाले की ओर से संघपूजा हुई । के दिन व्याख्यान में श्रीमान् जुहारमलजी [ ५ ] श्री पर्युषणा महापर्व की अनुपम आराधना १ - श्रावण ( भादरवा) वद १२ सोमवार दिनांक २८-८-८९ के दिन से 'श्री पर्युषण महापर्व की अनुपम आराधना' का प्रारम्भ हुआ । प्रारम्भ में तीन दिन अट्ठाई व्याख्यान तथा बाद में पाँच दिन 'श्री कल्पसूत्र' का व्याख्यान दोनों का क्रमशः श्रवण करने का लाभ श्रीसंघ को 'पोरवाल भवन' में पूज्यपाद प्राचार्य म. सा., पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. तथा पूज्य मुनिराज श्री रविचन्द्र विजयजी म. द्वारा मिलता रहा । उसी माफिक 'प्रोसवाल उपाश्रय' में भी पूज्य मुनिराज श्री रत्नशेखर विजयजी म. पूज्य मुनिराज श्री प्रमोद विजयजी म. पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजय जी म. तथा पूज्य मुनिराज श्री रविचन्द्र विजयजी म. द्वारा व्याख्यान का लाभ आठों दिन श्रीसंघ को मिलता रहा । उसी दिन श्रीमान् मोहनलालजी कस्तूरचन्दजी अम्बावत के घर पर क्षीरसमुद्र तप के पारणा के उपलक्ष में पगलियाँ करने के लिये परम पूज्य आचार्यदेव मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २६१

Loading...

Page Navigation
1 ... 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348