Book Title: Murti Ki Siddhi Evam Murti Pooja ki Prachinta
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 257
________________ भावार्थ- मेरे अन्तःकरण - चित्त में यह आश्चर्य होता है कि विपत्ति रूपी लताओं को नष्ट करने वाली, सर्वदा मनोहारिणी और निर्मल स्फूर्तिदायक जिनेश्वर परमात्मा की मूर्ति को शुद्ध जल द्वारा स्नान कराने वाले मनुष्य स्वयं अपने असंख्याता अज्ञान रूपी मल को दूर करके निर्मलता को प्राप्त करते हैं । अर्थात् जगत् में हम देखते हैं कि जो स्नान करता है, वह मैलरहित होता है । इसके अलावा परमात्मा की मूर्ति प्रतिमा को स्नान कराने वाले मैलरहित होते हैं । यह महद् प्राश्चर्य जान पड़ता है ।। १९ ॥ मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २३४

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