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संघ में श्री नमस्कार महामन्त्र की नौ दिन की आराधना का भी प्रारम्भ हुआ ।
दोपहर में पैंतालीस आगम की पूजा प्रभावनायुक्त पढ़ाई गई ।
प्रतिदिन पूज्य श्री भगवती सूत्र' तथा 'श्री विक्रमचरित्र' का श्रवण करने का लाभ श्रीसंघ को सुन्दर मिलता रहा ।
* आषाढ़ (श्रावण) वद १४ सोमवार दिनांक ३१-७-८ के दिन सामुदायिक एकधान (पीला वर्ण) के आयम्बिल विशेष रूप में हुए ।
* श्रावरण सुद २ बुधवार दिनांक ३-८- १६८६ के दिन वन्दनार्थ लुणावा से प्राये हुए एक सद्गृहस्थ की तरफ से व्याख्यान में संघपूजा हुई ।
* श्रावरण सुद ४ शनिवार दिनांक ५-८-८६ के दिन परम पूज्य आचार्य म. सा. आदि चतुविध संघ के साथ वाजते-गाजते स्वागतपूर्वक श्रीमान् भंडारी सुपारसमलजी हिम्मतमलजी वकील के घर पर पधारे । वहाँ पर ज्ञानपूजन, मांगलिक एवं प्रतिज्ञा के पश्चात् संघपूजा
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मूर्ति की सिद्धि एवं मूर्तिपूजा की प्राचीनता - २८७