Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 6
________________ मेघकुमार की आत्मकथा कुछ देर वार्तालाप के बाद रानी अपने कक्ष में । ऐसा निश्चय कर वह एक स्वच्छ आसन पर वापस आ गई। उसने सोचा बैठकर नमोकार मंत्र का स्मरण करने लगी। शुभ स्वप्न देखने के बाद नींद नहीं a लेना चाहिए। NDon MORNORWANA सूर्योदय तक वह प्रभु-स्मरण व धर्मध्यान करती रही। प्रातःकाल राजा श्रेणिक ने नगर के श्रेष्ठ विद्वान् स्वप्न-पाठकों को राजसभा में आने का आमंत्रण भेजा। राजसभा में एक सफेद झीने पर्दे के पीछे रानी बैठी। राजा ने स्वप्न-पाठकों को रानी को स्वप्न बताकर पूछाआपके शास्त्र अनुसार इस स्वप्न का क्या शुभ फल हो सकता है? Jain Education International For Private & Personal Use Only

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