Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 31
________________ मेघकुमार की आत्मकथा ढाई दिन-रात तीन पाँव पर खड़े रहने से उसके शरीर का संतुलन बिगड़ गया। वह धड़ाम भूमि पर गिर पड़ा। भूख-प्यास और बुढ़ापे की दुर्बलता के कारण वह हाथी भूमि से वापस उठ नहीं सका। उसका सारा शरीर दर्द से दुःख रहा था। वह तीन दिन-रात तक भयंकर वेदना भोगता, भूखा-प्यासा पड़ा रहा, परन्तु उसके मन में प्रसन्नता थी। दया और करुणा की भावना के कारण दर्द के समय भी. उसे शान्ति अनुभव हो रही थी। उस हाथी ने वहाँ से अपना आयुष्य पूर्ण कर राजगृह के राजा श्रेणिक की रानी धारिणी के गर्भ से जन्म लिया । Jain Education International 29 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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