Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 32
________________ मेघकुमार भगवान महावीर ने यह घटना सुनाकर मेध मुनि को उद्बोधित किया मेघ ! याद करो, तुम्हीं थे वह मेरुप्रभ हाथी, जिसने पशु योनि में एक नन्हें-से जीव की दया करके इतना महान् पुण्योपार्जन किया कि यहाँ एक राजकुमार बने । मेघ ! सोचो, देखो, पशु योनि में एक जीव की रक्षा के लिए तुमने इतनी पीड़ा सही, और अब मनुष्य जन्म में सम्यक्जान चारित्र प्राप्त करके भी तुम एक रात के थोड़े से कष्ट से घबरा गये? मेघ मुनि की स्मृतियों में पूर्वजन्म का सभी घटनाक्रम चलचित्र की भाँति आने लगा। कुछ देर तक वह अतीत में खोया रहा, अपने पूर्व जीवन की घटनाओं को ज्ञान की आँखों से देखता रहा। Jain Education International For Private Sesonal Use Only www.jainelibrary.org

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