Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 10
________________ मेघकुमार की आत्मकथा राजा श्रेणिक रानी का दोहद सुनकर चकित हो गये। परन्तु सान्त्वना देते. बोले हुए रानी को आश्वासन देकर श्रेणिक वापस राजसभा में आकर बैठ गये। मैंने रानी का मन बहलाने के लिए उसे आश्वासन तो दे दिया, अब यह विचित्र दोहद कैसे पूर्ण होगा? acco Jain Education International 000000 इन्हीं विचारों में खोये राजा बार-बार आकाश की तरफ देखने लगे। देवी ! उद्यमी एवं बुद्धिमान् व्यक्ति लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। चिन्ता मत करो। हम आपका दोहद पूर्ण करने की शीघ्र ही व्यवस्था करेंगे । तभी महामंत्री अभयकुमार पिताश्री के अभिवादन के लिए आया। परन्तु राजा ने उधर ध्यान ही नहीं दिया। कुछ देर बाद राजा ने अभयकुमार को देखा तो अचकचाकर बोले अभय ! तुम कब आ गये ? For Private Personal Use Only महाराज ! मुझे तो काफी समय हो गया यहाँ खड़े ! आप आज किस चिन्ता में हैं ? www.jainelibrary.org.

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