Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014 Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 27
________________ मेघकुमार एक बार विंध्यगिरि के बाँस के वनों में भयंकर आग लगी। जानवरों में भगदड़ मच गई। हाथियों का राजा मेरुप्रभ हाथी-हथिनियों के साथ जंगल में इधर-उधर भागकर अपनी जान बचाता रहा। वन-दावानल को देखकर मेरुप्रभ सोचने लगा मैंने पहले भी कभी इसी प्रकार का दावानल देखा है। सोचते-सोचते उसे अपना पिछला जन्म याद आ गया। Jain Education International ICL میدان Aerce." 25 For Private & Personal Use Only www भंयकर आग की लपटों में जलता जंगल और वन-जीवों की चीत्कारों से उसका मन काँपने लग गया। www.jainelibrary.orgPage Navigation
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