Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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मेघकुमार आग का प्रकोप शान्त होने पर उसने अपने साथियों से कहा- | | मेरुप्रभ ने आदेश दिया
ग्रीष्म ऋतु में बार-बार जंगल में आग लगती है और हमें इसी प्रकार भयंकर विनाश का सामना करना पड़ता है। अब इससे बचने के
लिए कोई उपाय करना चाहिए।
एक योजन मैदान को एकदम साफ कर डालो जिसमें घास-फूंस का एक तिनका भी न रहे। यह मण्डल ऐसी आपत्ति के समय हमारे लिए सुरक्षित आश्रय स्थान बनेगा।
SKIN
CITITION
TATALAALIS
आप हमारे राजा हैं। बताइये क्या उपाय करें?
सभी हाथी जुट पड़े। देखते ही देखते एक योजन का साफ-सुथरा मण्डल तैयार हो गया।
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