Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014 Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 24
________________ मेघकुमार को उस समय वह हाथियों का राजा सुमेरुप्रभ जो बहुत बूढ़ा और दुर्बल हो चुका था, आग की लपटों से खुद बचाने के लिए भागता-भागता गर्मी के मारे व्याकुल हो उठा। 1. आग की चिनगारियाँ उछल-उछलकर उसके शरीर पर गिर रही थीं। चमड़ी झुलस रही थी। Jain Education International ओह ! कितनी भीषण आग है। यह आग तो जंगल के सब पशु-पक्षियों को जलाकर भस्म कर देगी। गर्मी से सुमेरुप्रभ का गला सूख रहा था। पानी की खोज में इधर-उधर भटकता हुआ वह एक सूखे दलदले सरोवर के किनारे पहुँच गया। आह ! पानी । कण्ठ सूख गया है। तालाब में जाकर भर पेट पानी पीऊँगा। 22 For Private & Personal Use Only Tammy www.jainelibrary.orgPage Navigation
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