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मेघकुमार
को
उस समय वह हाथियों का राजा सुमेरुप्रभ जो बहुत बूढ़ा और दुर्बल हो चुका था, आग की लपटों से खुद बचाने के लिए भागता-भागता गर्मी के मारे व्याकुल हो उठा।
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आग की चिनगारियाँ उछल-उछलकर उसके शरीर पर गिर रही थीं। चमड़ी झुलस रही थी।
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ओह ! कितनी भीषण आग है। यह आग तो जंगल के सब पशु-पक्षियों को जलाकर भस्म कर देगी।
गर्मी से सुमेरुप्रभ का गला सूख रहा था। पानी की खोज में इधर-उधर भटकता हुआ वह एक सूखे दलदले सरोवर के किनारे पहुँच गया।
आह ! पानी । कण्ठ सूख गया है। तालाब में जाकर भर पेट पानी पीऊँगा।
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Tammy
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