Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014 Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 19
________________ मेघकुमार की आत्मकथा माता-पिता के बहुत समझाने पर भी मेधकुमार ने अपना निर्णय नहीं बदला। तब राजा श्रेणिक ने कहावत्स ! ठीक है, तू संयम पथ पिताजी, पर बढ़ना चाहता है तो हम | कहिए आपका नहीं रोकते, परन्तु हमारी ) आदेश सिर एक इच्छा है। माथे पर है। वत्स ! हम चाहते हैं, दीक्षा Forलेने से पहले एक दिन के लिए तेरा राज्याभिषेक कर हम अपने मन का मोद पूरा कर लेवें। पिताश्री! जैसी आपकी इच्छा el4 OYOY Concokola ACCIE राजाज्ञा से मेघकुमार का राज्याभिषेक महोत्सव मनाया गया। राजपुरोहित ने तिलक लगाया। माता-पिता ने आशीर्वाद दिया। प्रजा ने अभिवादन कर विविध उपहार दिये। पूरे नगर में मिष्टान्न और स्वर्ण-मुद्रायें बाँटी गईं।। भाई ! सच्चा त्याग तो यही। है। आज राजतिलक हुआ और कल साधु बन जायेगा। TranION Kantional 117 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.orgPage Navigation
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