Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 8
________________ मेघकुमार की आत्मकथा एक दिन बसन्ता नाम की दासी ने महारानी से पूछा महारानी जी ! इस समय आपको तो प्रसन्न और आनन्दित रहना चाहिए। आप उदास क्यों हैं? यदि आप यूँ ही गुमसुम रहेंगी तो महाराज हमें डाँटेंगे ! बताइये न? क्या बात है? बसन्ता ! जो बात बननी असम्भव लगती है उसे मुँह से कहने में भी लम्जा आती है। सुनोगी तो तुम भी मुझे मूर्ख समझोगी। ( DOVOORVOON VVNOG तभी महाराज श्रेणिक अचानक राजमहल में आ गये। दासियाँ वहाँ से चली गईं। राजा ने रानी को उदास देखा तो पूछादेवी ! इस बसन्त ऋतु में तो फूल खिलते हैं, तुम तो मुआती जा रही हो? तुम्हारे चेहरे पर चिन्ता की छाया देखकर मेरा मन भी दुःखी हो रहा है?क्या बात है? RAMES SAILBAITRINION NANDGANACEANY LFre600 Jain Education International For Private 6ersonal Use Only www.ia ibrary org

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