Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014
Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 7
________________ प्रधान स्वप्न- पाठक ने अपना शास्त्र पढ़कर बताया मेघकुमार की आत्मकथा आपके समाधान से हमें प्रसन्नता और सन्तोष मिला, धन्यवाद । स्वप्न- पाठक को फल-फूल वस्त्र एवं स्वर्ण-मुद्राओं से सम्मानित करते हुए राजा ने कहा Jain Education International स्वप्नफल सुनकर रानी धारिणी और श्रेणिक प्रसन्न हो गये। आशीर्वाद देकर स्वप्न-पाठक लौट गये। महाराज ! श्वेत हाथी देखना श्रेष्ठ शुभ स्वप्न है। यह सूचित करता है कि महारानी धारिणी शीघ्र ही एक उत्तम पुत्र की माता बनेगी और यह पुत्र आपकी यश-कीर्ति-वैभव को बढ़ाने वाला होगा। गर्भ-काल के तीसरे महीने रानी धारिणी के मन में एक दोहद उत्पन्न हुआ। वह उस पर विचार करने लगी ओह ! कितनी विचित्र और असम्भव इच्छा है मेरी ! कैसे पूरी होगी? अपने मुँह से कैसे बताऊँगी महाराज को यह बात For Private Personal Use Only Do रानी इसी विचार में उदास हो गई। www.jainelibrary.org

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