Book Title: Meghkumar ki Atmakatha Diwakar Chitrakatha 014 Author(s): Purnachandravijay, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 13
________________ मेघकुमार की आत्मकथा कुछ माह पश्चात् समय आने पर प्रियंवदा दासी ने राजसभा में आकर महाराज श्रेणिक को बधाई दी 22X0A महाराज ! बधाई हो । महारानी धारिणी ने एक अति सुन्दर पुत्र को जन्म दिया है। अमारि-घोषणा: किसी पंचेन्द्रिय जीव को नहीं मारने की घोषणा Jain Education International दासी महाराज को प्रणाम करके सभी को खुशी के समाचार सुनाती हुई चली गई। नगर में आठ दिन तक बहुत बड़ा उत्सव मनाया गया। गरीबों को अन्न दान, वस्त्र दान और पशु-पक्षियों को अभयदान की घोषणा कर दी गई। 11 For Private & Personal Use Only आह ! कितनी प्रसन्नता की बात है। प्रियवंदा, यह मोतियों का हार हमारी तरफ) से इनाम लो । und INKKEE सुनो ! सुनो ! रा धारिणी के की पुत्र-जन्म खुशी में नगर में आठ दिन तक अमारि-घोषणा जाती है। www www.jainelibrary.orgPage Navigation
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