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(२६)
नृपसेंती हो हठ नवि कीजे ॥ मा० ॥ कारज तत क्षिण हो कीजे विचारी॥मा॥ कंबल नीजे हो तिम होये नारी॥मा०॥६॥ खोली मनमो हो कहो हूं कारो ॥ मा० ॥ नाहितर ए ले हो नृपति अटारो ॥मा॥थरक्यो धनदत्त हो निसुणी वाणी ॥ मा ॥ सचिवने ना हो कां कहो ताणी ॥ मा०॥७॥ नृपथी अलगो हो हूं बुं किवारे ॥ मा० ॥ पुत्री ले हाजर हो कहेसो जिवारे ॥ मा ॥ ते दिन होवे हो जे दिनराजा ॥ मा ॥ श्रावे अंगण हो वधते दीवाजा ॥ मा० ॥ ॥ आसरो केहो हो पुत्री केरो ॥ मा० ॥ बीजो कोइ कहो काज जवेरो ॥ मा० ॥ वस्तु केही हो नृपने न घटे ॥ मा ॥ ते श्यां फूल मांहो शिवने न चढे ॥ मा० ॥ए॥ जाउँ पधारो हो नृपने नाषो ॥ मा० ॥ लगन लेवामो हो मुहुरत दा खो॥मा॥ चोकस कीधी हो सचिवें सगाई॥ मा० ॥ ऊठी नृपने हो दीधी वधाई ॥मा॥१॥ रंज्योमहि पति हो केतव गेही ॥मा॥ खटके चितमे हो वाय क तेही माण॥ तेड्यो पंमित हो लगन निहाली ॥ ॥मा करशं राजी हो या ताली॥मा॥११॥ जाख्युं जाषो हो पंडित जोई ॥ मा॥ नीमी आपो
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