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(२५)
॥ ढाल दशमी॥ ॥ केसरवरणो हो काढ कसुबो मारा लाल॥एदेशी ॥
॥सेठ पयंपे हो सचिवने आगे॥मारा लालक हेतां तुमने हो दामसुं लागे ॥ मा० ॥ नाष्या मोरे हो श्म कां विचारो ॥मा॥ मोजां पाणी हो विण कां उतारो ॥ मा० ॥१॥ एहवो क्याथी हो नाग्य अमारो ॥ मा० ॥ कीजे साहिब हो काम तुमारो॥ मा० ॥ जे तुमे कहेसो हो ते अमे करसुं ॥ मा० ॥ विगर कहेथी हो माये न पीरस्युं ॥मा॥२॥श्म अति आदर हो सेठनो जाण ॥ मा० ॥ सचिव ते वारे हो बोल्यो वाणी ॥ मा॥ए विनती हो सु जग अमारी ॥मा॥ नूपति चाहे हो पुत्री तुमारी ॥माण्॥३॥ श्राव्यो बुं कहेवा हो ते हुँ तुमने ॥ मा० ॥ राजी करीने हो सिख यो अमने ॥मा ॥ राजन सरिखो हो होसे जमाई ॥ मा० ईन्य तु मारी हो पूर्ण कमाई ॥ मा० ॥ ४ ॥ पुत्री तुमची हो होसे सोहेली ॥ मा कोश् वाते हो नहि थाय दोहेली ॥ मा० ॥ अवसर एवो हो फिरि नहि श्रा वे ॥ मा० ॥ गान प्रमाणे हो गावण गावे ॥ मा॥ ॥५॥ जेवो वायरो हो उलो लीजे ॥ मा० ॥ पण
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