Book Title: Mantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 118
________________ (११६) खामी जी ॥ बो ॥ सहि जाणो गुणधामी जी॥ बो० ॥ कहो तो तुमारी दियुं सहिनाणी, तारे मानसो साच ॥ पी० ॥बो॥ए॥नाखे नूप जरामो जी ॥ बो ॥ त्रिय मत बोलो आमो जी ॥ बो॥ मुक सहिनाणी सरामो जी ॥ बो० ॥ होए तो कोई देखामो जी ॥ बो॥ तव तिणें हार नामांकितमु अडी, दीधी पिजमाने हाथ ॥ पी० ॥ बो॥ १० ॥ तव नृप विस्मय ग्रहियो जी ॥ बो॥ नीचो जोश्ने रहियो जी ॥ बो ॥ पालो फरी न कहीयो जी ॥ बो॥ कांईक नेद ते लहियो जी ॥ बो० ॥ सा कहे जीवन ऊंचो जूवो, लाजो कां महाराज ॥पी० ॥ बो ॥ १९॥ जुठ मुघमी सारी जी ॥बो॥ नरखो हार निहारी जी ॥ बो ॥ होवे सहि नाणी तमारी जी ॥ बो ॥ बोलो जाऊं हुँ वारी जी ॥ बो० ॥ नृप चिंते एंधाणी माहरी, इहां किम एहने पास ॥ पी० ॥ बो॥ १२ ॥ एहने मुखी न दीधी जी ॥ बो॥ तो एणे किहांथी लीधी जी ॥ बो ॥णे कोई बुद्धि कीधी जी ॥ बो ॥ रही Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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