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लागो पगे, आदर दीधो नूर || बेसामी सिंहासने, सामण जी सनूर ॥ ७ ॥ ॥ ढाल अंगणी शमी ॥ ॥ बावा किसनपुरी ॥ ए देशी ॥ ॥ पणे नूपति वायक तांम ॥ करी अवधूत ने परणाम | सामणि साच कहो ॥ यया किहांथी कि हां जी रहो ॥ सा० ॥ निसुण्या जेहवा गुण आवाज ॥ ते दवा तुमने दीवा याज ॥ साम० ॥ १ ॥ जले पधा स्या नगर मकार ॥ जे में पतितें पाम्यो दीदार ॥ सा० ॥ तुम बलिहारी जे थइने निग्रंथ ॥ पालो जी शुद्ध निरंजन पंथ ॥ सा० ॥ २ ॥ ग्यान ध्यानमां रहो बो मगन्न॥मन वचथी तुमने धन्य धन्य ॥ सा० ॥ कहो तुमे वे बाले वेश | किम योगेंद्रनो धरयो नेष ॥ सा० ॥ ३ ॥ बोली मानवती ततकाल ॥ सुन बे दीवाने तुं भूपाल ॥ सा० ॥ हम हे गेबी जीव तीत ॥ बु के को हमारी रीत ॥ सा० ॥ ४ ॥ रहे रमता राम हमेश || जेटे तीरथ देश विदेश ॥ सा० ॥ आए रखण नयर उद्धेन ॥ खेलत पावत हे सुख चेन ॥ सा० ॥ ५ ॥ कौन कीसी के वे जाय ॥ दाना पानी लेत बुलाय ॥ सा० ॥ जजे जगवान जगावे
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