Book Title: Mantung Raja ane Manvati Ranino Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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(१०६) ॥ दोहा ॥
॥ एम अनुक्रमे चालतां, पाम्या कानन तेह || आव याद नरेशने, छापर परणी जेह ॥ १ ॥ चरणोदक पीधुं जिहां, तेपि दीठी नूम ॥ सामिए
परने विरह, अवनीपति रह्यो घूम ॥ २ ॥ एहवे श्राव्यो दोमतो, दलथंजणनो दूत ॥ लांबी जंघा धर पीनो, याराधर अवधूत ॥ ३ ॥ मानतुंग नृपने कहे, तेह दूत तिथिवार || मुंगीपट्टन सांमुहा, पाठा फेरो तुषार ॥ ४ ॥ नृप कहे दूतजणी इस्युं, पाठा वाले केम ॥ चोरीने आव्या नथी, कांइ ससरानुं हेम ॥ उलंघी धी धरा, वोल्यो विषमो घाट | कार ए कहो तो इहांथ की, पाठी लीजे वाट ॥ ६ ॥ ॥ ढाल जंगलचालीशमी ॥
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॥ उदयापुर मांवो रे, गढ बुंदीनी जांन महा राजा ॥ केसरीया वर रूको लागे हो राज ॥ ए देशी ॥
॥ दूत कहे कर जो मिने रे, कारण सु कहुं देव ॥ महाराजा ॥ खेद बुरो जगमां अबे हो लाल ॥ चंदेरी नगरी धणी रे, जितशत्रु नामे देव || मा० ॥ खे० ॥ ॥ १ ॥ तेहने रतनवती जणी रे, विवाहनो कीधो था प || मा० ॥ पिण तेहने देवा ती रे पानी न हूं
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