Book Title: Manik Vilas
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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. ( १२) ११ पद-राग झंझोटी॥ ते जग में सत पंडित जानो-जिन निज पर हित अनहित पिछानो ॥ टेक ॥ शब्द शुद्ध पुनि अर्थ शुद्ध जिन भाव शुद्ध लखि करि सरधानो ॥ ते० १॥ हित मित बचन खिरत मुख मानों परमानंद जलद बरसानो । निःसंदेह प्रश्नोत्तर करते ताकरिभ- , वि भ्रम दाघ बुझानो ॥ ते० २ ॥ जिन सि. द्वांतनि के मर्मी उर साधर्मी लखि अति हरखानो। चित प्रभाबना माहिं रहत नित जिनके मिथ्या भाव पलोनो ॥ते० ३॥ ख्यात लाम पूजादि चाह बिन जिनने जात्यादिक मद भानी। करि प्रसंगतिनको अब मानिक जो चाहत हो शिव पुर थानो ॥ ते०४ ॥
१२ पद-राग झंझोटी मिथ्या दृष्टी जीव जगत में इमि प्रपंच

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