Book Title: Manik Vilas
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 35
________________ ( ३६ ) बढ़ावन को जिन प्रतिमा धरि जिन भवन करायो। तामहिं पद्मावति भैरव धरितेल सिंदूर चढ़ायो ॥ बहुत संसार वढायो । जि न० ७ ॥ तर्पनादि यज्ञोपवीत तिलकादि कुलेप बनायो । अन्य मतो सादश किरिया करि मन में नाहिं लजायो ॥ कहें जिन आज्ञा मायो । जिन० ८॥ के धन होय के वैरी विलसे कै परिवार बढ़ायो । कै अरो. गता के सुभोगता इन फल मांहिं लुभायो । वृथा बिकलप उपजायो। जिन० ६ ॥ देव धर्म गुरु परखि शास्त्र उर तत्वारथ रुचिलायो । शैली शुद्ध सेइ अब मानिक ज्यों सुख होय सबायो ॥ सदा समरस सरसायो । जिन० १०॥ ३५ पद-दादरा जिला उमरिया रे योंही बीती जाय ॥ टेक ॥ या विचार में चतुर रहत हैं भूरख चितना

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