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मंगलमन्त्र णमोकार - एक अनुचिन्तन ९३ देनेवाला है, इसकी जो चार मालाएं प्रतिदिन जाप करता है, उसे एक उपवासका फल मिलता है। 'सिद्ध' यह दो अक्षरोका मन्त्र द्वादशाग जिनवाणोका सारभूत है, मोक्षको देनेवाला है, तथा ससारसे उत्पन्न हुए समस्त क्लेगोका नाश करनेवाला है। णमोकार महामन्त्रसे उत्पन्न तेरह अक्षरोके समूहरूप मन्त्र मोक्षमहलपर चढने के लिए सीढीके समान है । वह मन्त्र है-"ॐ अर्हत् सिद्धसयोगकेवलो स्वाहा"।"
आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्तीने द्रव्यसग्रहको ४९वीं गाथामें इस णमोकार मन्त्रसे उत्पन्न आत्मसाधक तथा चमत्कार उत्पन्न करनेवाले मन्त्रोका उल्लेख करते हुए कहा है
पणतीस सोल छप्पण चउद्गमेगं च जबह आएह ।
परमेट्ठिवाचयाणं अण्णं च गुरूवएसेण ॥ अर्थात्-पंचपरमेष्ठी वाचक पैतीस, सोलह, छह, पांच, चार, दा मोर एक अक्षररूप मन्त्रोका जप और ध्यान करना चाहिए। स्पष्टताके लिए इन मन्त्रोको यहाँ क्रमश दिया जाता है ।
सोलह अक्षरका मन्त्र-अरिहत-सिद्ध-आइरिय-उवज्झाय-साहू अथवा अहं सिद्धाचार्यउपाध्यायसर्वसाधुभ्यो नम ।
छह अक्षरका मन्त्र - अरिहं प्रसिद्ध, अरिहंत सि सा, ॐ नमः सिद्धेभ्यः, नमोऽहं सिद्धेभ्यः ।
पांच अक्षरोका मन्य - अ सि आ उ सा । णमो सिद्धाणं । चार अक्षरका मन्त्र - अरिहंत । अ मि साह । सात अक्षरका मन्त्र- ॐ ह्रीं श्री अहं नम । आठ अक्षरका मन्त्र - ॐ णमो अरिहंताणं । तेरह अक्षरका मन्त्र - ॐ महत् सिद्धसयोगकेवली स्वाहा । दो अक्षरका मन्त्र - ॐहीं। मिद्धः । म सि । एक अक्षरका मन्त्र - ॐ, ओं, भोम्, अ, सि । प्रयोदशाक्षरात्मकविद्या - ॐ हां ही हूं ही ह भ सि आ र साननः