Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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परिशिष्ट नं०१
(णमोकारमन्त्रसम्बन्धी गरिणतसूत्र १ णमोकार मन्त्रके अक्षरोकी सख्याके इकाई, दहाई रूप अंकोंका
परस्पर गुणा करनेसे योग और प्रमाद सख्या आती है । यथा- ३५ अक्षर हैं, इसमे इकाईका अक ५ और दहाईका अक ३ हैं; अतः
५४३ = १५ को योग या प्रमाद । २. णमोकार मन्त्रके इकाई, दहाई रूप अर्कोको जोडनेसे कर्म संख्या
आती है । यथा - ३५ अक्षर सख्यामे ५+ ३ = ८ कम संख्या । ३ णमोकार मन्त्रकी अक्षर संख्याकी इकाई अकसख्यामे-से दहाई रूप
अफ सख्याको घटानेसे मूलद्रव्य सख्या, नय सख्या, भावसंख्या आती है। यथा ३५ अक्षर संख्या है, इसका इकाई अक ५, दहाई अक ३ है, अत ५ - ३२ जीव और अजीव द्रव्य, द्रव्याथिक और पर्यायाथिक नय या निश्चय और व्यवहार नय, सामान्य और विशेष, अन्तरंग और वहिरग अथवा द्रव्यहिंसा और भावहिंसा,
प्रत्यक्ष और परोक्ष प्रमाण । ४. णमोकार मन्त्रको स्रवसख्याके इकाई, दहाई रूप अंकोंका गुणा कर
देनेपर अविरति या श्रावकके व्रतोकी सख्या अथवा अनुप्रेक्षाओकी सख्या निकलती है। यथा णमोकारमन्त्र स्वरसंख्या' ३४ है, अत:
४४३ = १२ अविरति, श्रावकके व्रत या अनुप्रेक्षा। ५ णमोकार मन्त्रको स्वर सख्याके इकाई, दहाईके अकोको जोड देने
पर तत्त्व, नय या सप्तभगीके भगोकी सख्या आती है। यथा ३४ स्वर संख्या है, अत. ४+३= ७ तत्त्व, नय या मंगसख्या । १. देखें, इसो पुस्तकका पृ० ७५ ।

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