Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 220
________________ २२४ मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन । ६. णमोकार मन्त्रके स्वर, व्यंजन और अक्षरोंकी संख्याको योग कर देनेपर प्राप्त योगका संख्या-पृथक्त्वके अनुसार अन्योन्य योग करने पर पदार्थ संख्या आती है। यथा ३४ स्वर, ३० व्यंजन और ३५ अक्षर हैं, अतः ३४+३० + ३५ % ९९ इस प्राप्त योगफलको अन्योन्य योग किया। ९+ ९ - १८, पुनः अन्योन्य योग सस्कार करनेपर १ + ८-९ पदार्थ संख्या। ७. णमोकार मन्त्रके समस्त स्वर और व्यंजनोंकी संख्याको सामान्य पद संख्यासे गुणा कर स्वर संख्याका भाग देनेपर शेष तुल्य गुणस्थान और मार्गणा-सख्या आती है । अथवा णमोकार मन्त्रके समस्त स्वर और व्यंजनोकी संख्याको विशेषपद संख्यासे गुणा कर व्यंजनोको संख्याका भाग देनेपर शेष तुल्य गुणस्थान और मार्गो संख्या आती है.! यथा - इस मन्त्रके विशेष पद ११, सामान्य ५, स्वर ३४, व्यंजन ३७ हैं। अतः ३४ + ३० % ६४४५% ३२०२३४% ल और १४ शेष, १४ शेष तुल्य ही गुणस्थान या मार्गणाकी संख्या है। अथवा ३० + ३४ % ६४४११ = ७०४:३० - ३२ लब्धि, और १४शेष यही शेष संख्या गुणस्थान या मार्गणाकी है। समस्त स्वर और व्यंजमोकी सख्याको व्यंजनोंकी संख्यासे गुणा कर विशेषपद संख्या का भाग देनेपर शेष तुल्य द्रव्यो या जीवोके कार्यकी संख्या आती है। यथा - ३०+ ३४% ६४४३० १३२००११ = १७४ ल. और शेष । ६ शेष सख्या ही काय, और द्रव्योंकी संख्या है । अथवा - समस्त स्वर और व्यंजनोंफी संख्याको स्वर सख्यासे गुणाकर सामान्य पद संख्याका माग देनेपर,शेष तुल्य द्रव्यार की तथा जीवोके कायकी संख्या आती है। यथा - ३० १३१६ ६४४३४ % २१७६-५-४३४ लब्ध और... शेष । यहा: प्रमाण द्रव्य और कायकी सख्या है। १. २. श्सी पुस्तकका पृ० १३६ ।

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