Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 231
________________ मगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन २३५ नामिक १२२ निर्देश १२४ ___ संख्या वाचक प्रत्ययोंसे सिद्ध वस्तुका स्वरूप कथन करना होनेवाले शब्द नामिक कहे जाते निर्देश है । निर्विकल्प समाधि निदान २६ जब समाधि कालमे ध्यान, ___ आगामी भोगोकी वाछा ध्याता, घेयका विकल्प नष्ट हो करना या फल-प्राप्तिका उद्देश्य जाये तो उसे निर्विकल्प समाधि रखना निदान है। कहते हैं। निधत्ति निक्षेप ११९ कर्मका संक्रमण और उदय न कार्य होनेपर अर्थात् व्यवहार हो सकना निधत्ति है। चलानेके हेतु युक्तियोमे सुयुक्ति मार्गानुसार जो अर्थका नामादि चार नियम प्रकारसे आरोप किया जाता है वह ___ शौच, सन्तोप, तप, स्वाध्याय न्यायशास्त्रमे निक्षेप कहलाता है । और ईश्वर-प्रणिधान ये पांच नैगम १२० नियम कहे गये हैं। नियमका वास्त जो भूत और भविष्यत् पर्यायोविक अर्थ राग-द्वेषको हटाना है। मे वर्तमानका सकल्प करता है या निरवधि १०५ वर्तमानमे जो पर्यायपूर्ण नही हुई निरवधि वे व्रत कहलाते हैं उसे पूर्ण मानता है उस ज्ञान तथा जिन व्रतोंके लिए किसी विशेष वचनको नैगम नय कहते हैं । तिथि या दिनका विधान न हो। नेपातिक जैसे - कवल चन्द्रायण, मुक्ता अव्ययवाची शब्द नैपातिक कहे वली, एकावली आदि । जाते हैं। जैसे - खलु, ननु आदि। निर्जरा नोकपाय बंधे हुए कर्मोंका आत्मासे किचित् कषायको नोकषाय अलग होना निर्जरा है। कहते हैं। १०२ १२२

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