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मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन १६१ चाहिए। एक शेषमे 'णमो अरिहंताणं' दो शेषमे 'णमो सिद्धाण' तीन शेषमे ‘णमो माइरियाण' चार शेषमे ‘णमो उवज्झायाण' और पांच शेषमे 'णमो लोए सम्बसाहूर्ण' पद समझना चाहिए। उदाहरणार्थ४२ सख्याका पद लाना है। यहां सामान्य पदसख्या ५ से भाग दिया तो-४२-५ -८, शेष २। यहां शेष पद ‘णमो सिद्धाणं' हुआ। ४२वां भग पूर्वोक्न वर्गोमे देखा तो 'णमो सिद्धाण' का आया ।
"पदं धृत्वा रूपानयनमुहिष्टः"-पदको रखकर संख्याका प्रमाण निकालना उद्दिष्ट होता है । इसकी विधि यह है कि 'णमोकार मन्त्रके पदको रखकर संख्या निकालनेके लिए "संठाविदूण एवं उवरीयो संगुणित्त मगमाणे। अवणिज अणंकदिय कुजा एमेव सवय' । अर्थात् एकका अंक स्थापन कर उसे सामान्यपदसख्यासे गुणा कर दे। गुणनफल. में-से अनकित पदको घटा दे, जो शेष आवे, उसमे ५, १०, १५, २०, २५, ३०, ३५, ४० ४५, ५०, ५५, ६०, ६५, ७०, ७५, ८०, ८५, ९०, ९५, १००, १०५, ११०, ११५ जोड देनेपर भगसख्या आती है। अपुनरुक्त भगसख्या १२० है, मत ११५ ही उसमे जोडना चाहिए। उदाहरण 'णमो सिद्धाण' पदकी भगसख्या निकालनी है । अत यहाँ १ सख्या स्थापित कर गच्छ प्रमारणसे गुणा किया। १४५% ५, इसमें-से अनकित पद संख्याको घटाया तो यहां यह अनकित संख्या ३ है। अत. ५-३ = २ सख्या हुई । २+५= ७वा भंग, २+ १० = १२वा भंग, १५+२ = १७वां भग, २०+२% २२वां भंग,२५+२% २७वा भंग, ३०+२ = ३२वा भग, ३५+२ = ३७वा भग, ४०+२= ४२वा भग, ४५+२ = ४७वा भग, ५०+२= ५२वा भग, ५५+२= ५७वां भग, ६०+२ = ६२वां भग, ६५+२= ६७वां भग,७०+२ = ७२वा भग, ७५+२ = ७७वां भंग,८०+२%3D ८२वा भंग, ८५+२= ८७ वां भंग, ९०+२ = ९२वां भग, ९५ + २ = ९७वां भग, १००+२%१०२वाँ भग, १०५+२%3D१०७वां भग,११०+२= ११२वा भग, ११५+२%