Book Title: Mangal Mantra Namokar Ek Anuchintan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 206
________________ २१० मंगलमन्त्र णमोकार : एक अनुचिन्तन मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, 'स्तम्भन आदि सभी प्रकारक कार्य इस मन्त्रकी साधनाके द्वारा साधक कर सकता है. यह मन्त्र तो सभीका हितसाधक है, पर साधन करनेवाला अपने भावोंके अनुसार मारण, मोहनादि कार्योंको सिद्ध कर लेता है । मन्त्र साधनामें मन्त्रकी शक्तिके साथ साधककी शक्ति भी कार्य करती है । एक ही मन्त्रका फल । विभिन्न साधकोंको उनकी योग्यता, परिणाम, स्थिरता आदिके अनुसार भिन्न भिन्न मिलता है। अतः मन्त्रके साथ साधकका भी महत्वपूर्ण सम्बन्ध है। वास्तविक बात यह है कि यह मन्त्र ध्वनिरूप है और भिन्नभिन्न ध्वनियां अ से लेकर ज्ञ तक भिन्न शक्ति स्वरूप है। प्रत्येक अक्षरमें। स्वतन्त्र शक्ति निहित है, भिन्न-भिन्न अक्षरोके संयोगसे भिन्न-भिन्न प्रकारको शक्तियां उत्पन्न की जाती हैं । जो व्यक्ति उन ध्वनियोंका मिश्रण करना जानता है, वह उन मिश्रित ध्वनियोंके प्रयोगसे उसी प्रकारके शक्तिशाली कार्यको सिद्ध कर लेता है। णमोकार मन्त्रका ध्वनि-समूह इस प्रकारका है। कि इसके प्रयोगसे भिन्न-भिन्न प्रकारके कार्य सिद्ध किये जा सकते हैं। ध्वनियोंके घर्षणसे दो प्रकारको विद्युत् उत्पन्न होती है - एक धन विद्युत् और दूसरी ऋण विद्युत् । घनविद्युत् शक्ति-द्वारा वाह्य पदार्थोपर प्रभाव पडता है और ऋणविद्युत् शक्ति अन्तरंगकी रक्षा करती है, आजका विज्ञान भी मानता है कि प्रत्येक पदार्थमे दोनो प्रकारकी शक्तियाँ निवास" करती हैं। मन्त्रका उच्चारण और मनन इन शक्तियोंका विकास करता, है। जिस प्रकार जलमे छिपी हुई विद्युत्-शक्ति जलके मन्थनसे उत्पन्न होती है, उसी प्रकार मन्त्रके वार-बार उच्चारण करनेसे मन्त्रके ध्वनि-समूहमें छिपी शक्तियां विकसित हो जाती हैं। भिन्न-भिन्न मन्त्रोमें यह शक्ति मिन्नन भिन्न प्रकारकी होती है तथा शक्तिका विकास भी साधककी क्रिया और, उसकी शक्तिपर निर्भर करता है । अतएव णमोकार मन्त्रकी साधनासभाः प्रकारके अभीष्टोंको सिद्ध करनेवाली और अनिष्टोको दूर करनेवाली है। यह लेखकका अनुभव है कि किसी भी प्रकारका सिरदर्द हो, इक्कीस णमो HD- JE VAH TN: 1 .

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