Book Title: Mahavira ka Arthashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 111
________________ जिज्ञासा : समाधान १०२ एक देख नै हुयो खुशी। इणरे माथे जिसा सिट्टा हुसी। वह खुश हो गया। इतना बड़ा माथा है तो इसके बराबर ही सिट्टे होंगे । ठीक ऐसे ही हुआ। एक के खेत में बड़े-बड़े बाजरे के सिट्टे लगे, दूसरे खेत के मालिक को केवल कड़प से ही संतोष करना पड़ा। वैज्ञानिकों ने इस विषय पर बड़ी शोध की, बहुत प्रयोग किये। एक पौधे को बड़े पवित्र भावों के साथ सींचा गया और दूसरे को अपवित्र भावों के साथ । पहला कुछ ही दिनों में लहलहा उठा और दूसरा मुरझा कर सूख गया। कर्म भी एक कारण हो सकता है, पर हर जगह यही कारण हो, ऐसी बात नहीं है। ऐसा सोचना ऐकान्तिक बात होगी। प्रश्न-हिन्दुस्तान बड़ा मुल्क है, फिर भी पाकिस्तान जैसे छोटे से देश से क्यों डरता है? उत्तर—दोनों एक-दूसरे से डर रहे हैं। हिन्दुस्तान को डर यह है कि पाकिस्तान अपने को इतने आधुनिक हथियारों से लैस कर रहा है और अभी-अभी वहां के पूर्व प्रधानमंत्री ने परमाणु हथियार होने की बात भी स्वीकार की है। डर यही है कि जब भी उसका उपयोग होगा, हिन्दस्तान के खिलाफ ही होगा। ठीक ऐसा ही डर पाकिस्तान को भी है। दोनों देशों में बेहिसाब गरीबी है। शिक्षा, चिकित्सा, खाद्यान्न जैसी समस्याओं से दोनों जझ रहे हैं, किन्त अविश्वास और डर दोनों को सरक्षा पर भारी व्यय करा रहा है । यदि अविश्वास के बादल छंट जाएं, संदेह का माहौल न रहे तो भय भी विलीन हो जाए। प्रश्न-संग्रह और प्रभुत्व की मानसिकता में कैसे परिवर्तन आ सकता है? उत्तर-वर्षों पहले की बात है। पूज्य गुरुदेव गंगाशहर में विराज रहे थे। श्री राजीव गांधी वहां आए। गुरुदेव ने उनसे कहा-'आप इन्दिराजी को हमारा एक संदेश दे देना कि आज केवल व्यवस्था परिवर्तन की बात हो रही है और वह भी दण्डशक्ति के द्वारा । यह दण्डशक्ति एक सीमा तक आवश्यक हो सकती है, किन्तु यदि हृदय-परिवर्तन नहीं हुआ तो दण्डशक्ति के द्वारा किया जा रहा यह व्यवस्थापरिवर्तन कारगर नहीं होगा, स्थायी नहीं होगा।' एक सीमा तक दण्डशक्ति और उसके साथ हृदय-परिवर्तन का प्रशिक्षण—दोनों साथ-साथ चलें, तभी व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हो सकेगा, प्रभुत्व की मानसिकता में बदलाव आएगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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