Book Title: Mahavira ka Arthashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 139
________________ महावीर और अर्थशास्त्र कम करना निहायत जरूरी है। इसीलिए कहा गया कि आचार्य बनाने से पहले खूब बारीकी से निरीक्षण-परीक्षण कर लेना चाहिए । निर्धारित कसौटियों पर खरा उतरे तो बनाओ, अन्यथा नहीं । अर्थशास्त्र की दृष्टि से सोचें तो नियन्ता व्यक्ति अल्पकषायी तो होना ही चाहिए । आदमी अच्छा बने एक बात निश्चित जान लें जब तक मनुष्य नहीं बदलेगा, तब तक कुछ नहीं होगा। किसी के हाथ में नहीं है मनुष्य को बदलना । ऋतु को बदल सकते हैं, प्रकृति को बदल सकते हैं, किन्तु मनुष्य को बदलना सहज नहीं है। मनुष्य को बदलना है तो बदलने के प्रक्रिया अपनानी होगी, दीर्घकाल तक प्रयोग और प्रयत्न करने पड़ेंगे। बदलना असम्भव है, ऐसा तो नहीं कहा जा सकता किन्तु वह सहज और सरल भी नहीं हैं I बर्नार्ड शा ने एक जनसभा में इस्लाम की बहुत तारीफ की। लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे । भाषण की समाप्ति के बाद एक व्यक्ति बोला- लगता है, आप इस्लाम धर्म स्वीकार करने जा रहे हैं। बर्नार्ड शा बोले- स्वीकार तो जरूर कर लेता, किन्तु क्या करूं, मुसलमान अच्छा नहीं है। 1 मैं भी कहता हूं - सारे धर्म अच्छे हैं, किन्तु उसका अनुयायी मनुष्य अच्छा नहीं है । प्रयत्न हमारा यही है कि किसी तरह मनुष्य अच्छा बन जाये । अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान और ये भाषणमालाएं - सब इसी दिशा में किये जा रहे प्रयत्न हैं । Jain Education International १३७ For Private & Personal Use Only -- www.jainelibrary.org

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