Book Title: Mahavira ka Arthashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 112
________________ महावीर का अर्थशास्त्र परिवर्तन का सूत्र है— व्यवस्था भी बदले, व्यक्ति का हृदय भी बदले । दोनों संयुक्त रूप से चलें, तभी परिवर्तन की परिकल्पना साकार हो सकेगी। प्रश्न-मनुष्य का कर्त्तव्य श्रेष्ठता में परिलक्षित होता है तो फिर श्रेष्ठता के बढ़ने में रुकावट क्यों डाली जाये? उसकी सीमा क्यों की जाए? उत्तर—श्रेष्ठता के बढ़ने में कोई रुकावट नहीं डाली जानी चाहिए और वह वांछनीय भी नहीं है किन्तु श्रेष्ठता का मुखौटा पहन कर अश्रेष्ठता आए, इसकी रुकावट अवश्य होनी चाहिए। आज खतरा इस बात का है कि वे साधन और सामग्रियां मनुष्य में अश्रेष्ठता पैदा कर रही हैं। उनकी रुकावट होनी चाहिए। किसी देश ने कैंसर या एड्स की सफल दवा का आविष्कार किया। उसका आयात न हो, यह कभी वांछनीय नहीं हो सकता। हर वस्तु का विवेक के साथ संयम होता है। यह नहीं होना चाहिए कि गौ मांस का भी निर्यात करें डालर या किसी अन्य अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा के लिए। यह वांछनीय नहीं है। आज ऐसा हो रहा है कि बढ़िया वस्तुओं का तो निर्यात होता है। जहां पैदा होती है, वहां के लोगों को तो देखने को भी नहीं मिलती, दूसरे देशों में भेज दी जाती हैं और आयात होता है विलासिता की वस्तुओं का। रोटी की समस्या भी जहां न सुलझ रही हो, वहां विलासिता की वस्तुओं का आयात निरी मूर्खता के सिवा और कुछ नहीं है। कोई भी समझदार शासक या दल सर्वप्रथम यह देखेगा कि राष्ट्र की प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी हो रही हैं या नहीं। इस दिशा में न सोचकर विलास-सामग्री का आयात करना क्या अश्रेष्ठता का प्रवेश नहीं है? इसकी रुकावट अवश्य होनी चाहिए। प्रश्न-साम्यवादी शासन में नियंत्रण था पर अशान्ति नहीं थी। जैसे ही खुलापन आया है, समस्याएं गंभीर बन रही हैं। आप इस संदर्भ में क्या सोचते हैं? उत्तर--साम्यवादी शासन के सात दशक में इतना नियंत्रण था कि आदमी को यह सोचने की भी स्वतन्त्रता नहीं थी कि मैं शान्ति में हं या अशान्ति में। एक यंत्र का पुर्जा जैसा बना हुआ था । अब नियंत्रण हटा है, कुछ सोचने की, बोलने और लिखने की स्वन्त्रता मिली है, तब वह अपनी समस्याओं पर विचार कर रहा है। आज यह आभास मिलता है, शायद प्राथमिक आवश्यकताओं की जितनी कमी वहां है, उतनी और कहीं नहीं । विमान, तोप और प्रक्षेपास्त्र बनाने वाले, अंतरिक्ष में उपग्रह छोड़ने और प्रयोगशाला स्थापित करने वाले उस साम्यवादी देश में डबलरोटी के Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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