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महावीर और अर्थशास्त्र
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आई-संतों को अब आहार-पानी की पूरी सुविधा मिल रही है। वह सूचना मिलने पर मैंने अपना संकल्प परा किया।
जहां व्यक्ति दूसरे के सुख-दुःख का अनुभव करता है, वहां स्वार्थ की वृत्ति व्यापक बनती है। 'मैं अकेला नहीं हूं' यह भावना जितनी प्रखर होगी, उतना ही पर्यावरण की समस्या को समाधान मिलेगा। गरीब कौन?
एक प्रश्न है—गरीबी की परिभाषा क्या है? किसको गरीब कहें ? अमीर कौन है और गरीब कौन है ? यह जानने की अपनी दृष्टि है। एक संस्कृत कवि ने लिखा-नीचे की ओर देखो, सब दरिद्र लगेंगे। ऊपर की ओर देखो, स्वयं की दरिद्रता झलकेगी।
अधोधो पश्यत: कस्य, महिमा नो गरीयसी।
उपर्युपरि पश्यन्त:, सर्वमेव दरिद्रति ।। अपने से ऊपर वाले को देखो तो लगेगा उससे ज्यादा वह गरीब है। लाख वाला करोड़ वाले के सामने गरीब है, करोड़ वाला अरब वाले के सामने गरीब है, अरबपति खरबपति के सामने गरीब है । ठीक ही कहा है ऊंचे से ऊंचे को देखो तो नीचे वाले दरिद्र हैं । आप अपने नीचे देखें तो लगेगा हम सबसे ऊंचे हैं। एक के हाथ में एक है और दूसरे के हाथ में सौ है । इसकी मुकम्मल परिभाषा नहीं की जा सकती कि कौन अमीर है और कौन गरीब है। ___ मुझसे पूछा जाए तो मैं कहूंगा-गरीब वह है, जिसका मन गरीब है, जिसकी वृत्तियां गरीब हैं। एक मजदूर को देखें, वह दो रोटी खाता है, पानी पीता है और मस्ती की नींद सो जाता है। दूसरी तरफ दस लाख की मोटर में बैठ कर चलने वाला मालिक, एयरकंडीशन बंगले में सोता है, फिर भी नींद नहीं आती। अन्तर क्या है ? हम उद्योगपति डालमियाजी की कोठी में रहे, हमने देखा-खाते समय भी हाथ से फोन कान में लगाए रहते थे। मन में विचार आया-जीवन इतना व्यस्त और अशान्त, फिर यह धन किस काम आयेगा? उन्हें दरिद्र मानूं या सम्पन्न? प्रश्न बेरोजगारी का ___ एक प्रश्न है बेरोजगारी का। बेरोजगारी कहां से आई है? इसका कारण है हमारी शिक्षा पद्धति । मैं स्पष्ट कहता हूं, भारत की बेरोजगारी उसकी शिक्षा पद्धति की देन है। पहले हर वर्ग अपने-अपने काम में मस्त था। किसान का बेटा खेती
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