Book Title: Mahavira ka Arthashastra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Adarsh Sahitya Sangh

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Page 109
________________ धर्म से आजीविका इच्छा-परिमाण ४. ५. ७. : आवश्यकताओं, सुख-सुविधाओं और उनकी संतुष्टि के साधनभूत धन- संग्रह की सीमा का निर्धारण । धन के प्रति उपयोगिता के दृष्टिकोण का निर्माण कर संगृहीत धन में अनासक्ति का विकास । १०७ धन के संतुष्टि - गुण को स्वीकार करते हुए आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से उसकी असारता का अनुचिन्तन । विसर्जन की क्षमता का विकास । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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